सामाजिक जाग्रति
आज समाज के कुछ बड़े अधिकारी,कर्मचारी, बिजनेसमैन, सांसद, विधायक ही हमारी पुरखाओं की प्राचीन रुणी प्रथा संस्कृति को बड़ी तेजी से छोड़ने और तोड़ने का प्रयास किये है ।।
आज जो काम हमारे समाज की कुछ युवा पीढ़ी पढ़ लिखकर समाज के लिए काम कर रहे है वही काम को हमारे बड़े अधिकारी,कर्मचारी,बिजनेसमैन,सांसद, विधायक लोग 40 साल पहले कर लिए होते तो आज हमारे युवा पीढ़ी कम से कम कहा जाए तो 50% अपने समाज के प्रति जागरूक जरूर रहते.......।।
पर यहाँ तो वही हुआ जो वर्षो से हमारे पूर्वजों के साथ होता आया है ,समाज के कुछ लोग पहले पढ़े लिखे बड़ी पद मिली पर पद मिलते ही अपने रुणी प्रथा के साथ अपने समाज को भी भूल गए ये लोग न ही कभी समाज के बीच गए और ना ही आज अपने परिवार को समाज के बीच भेजते है.........।
आज जो लोग अपने समाज के प्रति कटरता दिखा रहे है, समाज को जागरूक कर रहे है, समाज की संस्कृति के बारे में गांव गांव जाकर प्रक्षिक्षण दे रहे है, आज उसी समाज के लोग उसका ही उनका मजाक उड़ाते है....।
आज से एक दशक पहले भी हमारे लोग खूब पढ़े अपने संस्कृति के बारे मे पर कभी प्रक्षिक्षण देना ही सही नही समझा अगर ये प्रशिक्षण उसी दसक से शुरू हुआ तो आज हमारे समाज के लोग बुरी तरह से मनुवादियो की चपेट में नही आते.........।
दूसरे को क्या बोले 5 साल पहले मैं खुद बहुत बड़ा मनुवादियों के काल्पनिक भगवानो की पूजा करता था , उपवास भी रहता था पर जब से मैने अपना इतिहास को जाना गोंडवानालैण्ड भूभाग को जाना हमारे 52 गढ़ 58 परगनाओ के राजा रानियों को जाना अपने कोया पुनेम संस्कृति को जाना तब से आज तक उन मनुवादियो की काल्पनिक देवताओ को नही पूजा और न ही पूजूँगा......।
आज भी हमारे अधिकारी लोग जानने का प्रयास ही नहीं कर रहे हैं न ही अपने परिवारों को जगाने का प्रयास कर रहे है आज सबसे ज्यादा इन्ही अधिकारी,कर्मचारी,बिजनेसमैन, सांसद ,विधायक के लोग मनुवादी व्यस्था को मानते है जब कि आज शोसल मीडिया के जरिए बड़ी तेजी से हमारे युवा जागरूक हो रहा है पर उन पैसा वालो का क्या जो आज भी ऐसी रूम से निकलना सही नही समझ रहे है......।
आज मनुवादी राजनीति हमारे ऊपर बड़ी तेजी से हावी हो रहा है, हमारी जमीने छीनी जा रही है हमारी आवाज को दबाया जा रहा है आज हमारे जंगलो से खनिज निकल रहा है उससे भी बेदखल किया जा रहा है , हमारी बहन बेटियों को बाहर में बेचा जा रहा है, आये दिन हमारे मां बहनो को प्रताणित कर के रेप किया जा रहा है, बस्तर में तो आये दिन नक्सली के नाम पर सीधे साधे गोंडो को आज बंदूकों से मारा जा रहा है ,बस्तर में 70 से 80 गोंड़ गांवो को उखाड़कर फेक दिया गया । इसी तरह अभी कवर्धा में भी शुरू गया है कवर्धा की 50 से 60 गोंड़ बैगाओं के घरो को भरी बरसात में तोड़ दिया इस तरह से दोहरी चाल रही है राजनीति पार्टिया हमारे समाज के लोगो के साथ आज सरगुजा संभाग के 33 पंडो गोंड़ के लोगो के साथ शासन ने दुर्व्यवहार किया उनकव नोकरी से निकाल दिया आज हालत क्या होगा उस शासन ने कोई सुनवाई नही किया हमारे निताओ से मिलने जाओ तो सिर्फ असवासन दिया जाता है दो चार दिन बाद वो भी शून्य हो जाता है......।
सुन लो और पढ़ लो गौर से उत्तरप्रदेश के गोंड़ समाज के लोग आज *जाति प्रमाण पत्र* के लिए तरस रहे है क्यो क्योकि वो अपने पुर्वजो की रुणी प्रथा संस्कृति को भूलकर हिन्दूवादी मनुवादी संस्कृति को मानते थे दुनिया भर की ब्रम्हा,विष्णु,महेश,दुर्गा,सरस्वती,लक्ष्मी, तीजा, रंक्षाबंधन, गणेश और भी तमाम मनुवादी व्यवस्था को मानते थे इसीलिए उनका *जाति प्रमाण पत्र* निरस्त कर दिया गया और साफ साफ शासन ने जवाब दे दिया कि आपलोग *गोंड़* अभी नही हो क्योकि आप अपने संस्कृति को नही मानते हो आप हिन्दूवादी व्यवस्था को मानते हो इसीलिए आपका जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया है......।
ऐसी हो एक घटना मध्यप्रदेश का आया था आज छत्तीसगढ़ में भी दिख गया *पंडो गोंड़* जनजातीय के साथ आज इनका भी जाति प्रणाम पत्र निरस्त हो गया और 33 लोगो की सरकारी नोकरी चली गयी इस बात को आपलोग समझो नही आगे आपके परिवार में भी परेशानिया आ सकता है.....।
अरे हमारी पहचान हमारे संस्कृति से है, जब संस्कृति ही नहीं रहेगी तो पहचान ही नही रहेगा और पहचान ही नही तो समझ जाओ आप एक मरे मुर्दे के सम्मान हो पहले इस बात को गौर से समझो और तर्क करो.....।
आज हमारे लोग बड़ी गर्व से हिन्दू हिन्दू चिल्ला रहे है ब्राम्हणो की धर्मो की रक्षा कर रहे है , अरे अपना तो अस्तित्व को बचाओ अपने प्राचीन उत्पत्ति की संस्कृति को बचाओ *कोया पूनेम* की मार्ग पर चलना सीखो तभी आपके पीढ़ी आगे चलकर सुरक्षित रह पाएगा ।
अरे हमारी रीति-रिवाज ,परंपरा, व धार्मिक आस्था तो करोड़ो वर्ष पुरानी है हम अपने पुर्वजो को मानने वाले लोग है प्रकृति की कि रक्षा करने वाले लोग है ।
अरे हमारी संस्कृति तो इतना महान है कि भारतीय संविधान में भी साफ साफ लिखा गया है जिसमे *रुणी प्रथा की बल* प्राप्त है ।।