जय सेवा गोंडवाना समाज में आपका स्वागत हैं आज हम स्वर्ग और नर्क के बारे में जानेंगे यदि आप इन बातो पर विश्वास करते हैं तो ये पोस्ट आप जरूर पढ़े ताकि रूढ़िवादी जीवन से बाहर निकल सके।
दोस्तों आज तक हमने सुना हैं की पुरे ब्रम्हांड में दो ऐसे जगह हैं जहां लोग जाना और ना जाना पसंद करते हैं। वो जगह हैं स्वर्ग और नर्क।
और इसके बारे में कई पुराण महापुराण , कुरान ,बाईबल जैसे पुस्तक में लिखे गए हैं। वे सब स्वर्ग और नर्क के बारे में उल्लेख किये हैं लेकिन उन सब पुस्तक में दोनों में जाने का रास्ता अलग अलग बताया गया हैं। आखिर ऐसा क्यों ?
ऐसा इसलिए क्योकि ये सब पुस्तक एक दूसरे पुस्तक से जुड़े हुए हैं जिसमे विचार अलग अलग हैं। जैसे की हम जानते हैं धर्म कोई स्वर्ग या नर्क में जाने का रास्त नहीं हैं बल्कि वह मानव समाज को जीवन जीने की कला सिखाती हैं और हर समाज अपने अपने तरीके से जीने का अधिकार रखता हैं यह पूरी तरह से सत्य हैं क्योकि हम देखते हैं हर जाती में कोई भी सामाजिक काम उस जाती के अनुरूप होता हैं कोई धर्म के अनुसार नहीं यह बात हिन्दू धर्म को मानने वाले लोगो के ऊपर ज्यादा फ़ीट बैठता हैं क्योकि वो अपने धर्म को हिन्दू तो बताते हैं लेकिन वो हिन्दू धर्म के अनुसार कोई काम नहीं करते बल्कि अपने वर्षो से चले आ रहे जातीगत रीती रिवाज को अपनाते हैं।
इससे यह स्पष्ट होता हैं की जो जातीय अपने आप को हिन्दू धर्म वाले बताते हैं वो वाकई में हिन्दू नहीं हैं लेकिन वो बनने की कोशिस कर रहे हैं।
दोस्तों हमारे समाज में जो रीती रिवाज अपनाये जाते हैं वही हमारी सच्ची धर्म हैं न की हिन्दू इसलिए अपने रीती रिवाज को जिन्दा रखने के लिए हिन्दू धर्म को ना अपनाओ अपना समाज का अपने रीती रिवाज के अनुसार अलग धर्म स्थापित करो। हिन्दू धर्म मतलबी धर्म हैं जिसका सम्पूर्ण अधिकार सिर्फ ब्रम्ह्ड़ छत्रिय वैष्य के पास ही हैं बाकि सब जाती उसके गुलाम हैं।
SC , ST ,OBC के अंतर्गत जितने भी जाती आते हैं। वो सब ब्रम्ह्ड़ो के वर्ण ववस्था के अनुसार शूद्र में आते हैं और ये सभी जाती गोंडवाना लैंड का मूल निवासी हैं दोस्तों गोंडवाना लैंड का वास्तविक नाम द्रविड़ियन क्षेत्र हैं जिसका नाम ब्रिटिश के लोगो के आगमन के बाद द्रविड़ को कोंड कहा जो बाद में गोंडवाना बना. इसके अलावा हिन्दू अर्थात ब्राम्हण वादी को इंड कहा इस तरह से भारत से गोंडवाना समाप्त हो गया और पूरी तरह से बाहर से आये आर्य अर्थात ब्रम्हांड वादी पर देश का नाम पड़ गया आज भारत का नाम इंडिया, हिंदुस्तान, भारत, रखा गया हैं और गोंडवाना लैंड के मूल निवाशियो को अपना गुलाम बना गया हैं जिन्हे सिर्फ जीवित रहने के लिए भोजन का कुछ अंश ही दिया जा रहा हैं। बाकि सब अधिकार बहर से आये आर्य समाज के हाँथ में हैं।
आज ब्राम्हण सबको स्वर्ग नर्क ,पाप पुण्य के नाम पर लूट रहा हैं और लोग बड़ी आसानी से उनके बातो पर आ कर अपने धन दौलत सब कुछ दान कर देते हैं। लेकिन सोचो हम पाप करते हैं तो हमारा पाप ब्राम्हण ले लेता हैं लेकिन उसका पाप कौन लेता हैं। इस सवाल पर ब्राहण कहता हैं भगवन ने हमे इसी काम के लिए बनाया हैं।
लेकिन भगवन को किसने बनाया उस भगवन का गाथा किसने लिखा ये सब बाम्हन ने ही तो किया हैं और ये सब किसी के उद्धार के लिए नहीं बनाया हैं बल्कि अपने स्वार्थ के लिए रचा गया एक मतलबी किताब हैं। जिससे हम पढ़ कर बहुत खुस होते हैं। और स्वर्ग की तलाश करते हैं।
दोस्तों वास्तव में पूरी दुनिया में कंही भी अलग से स्वर्ग हैं और ना नर्क हैं ना पाप हैं ना पुण्य सब कुछ वास्तविक हैं और यह एक जीवन के साथ शुरू होता हैं और जीवन के अंत के साथ नष्ट हो जाता हैं मेरे कहने का मतलब हैं की जब हमारा जीवन ख़ुशी -ख़ुशी बीतता हैं तो वह हमारा स्वर्ग हैं और जब जीवन में दुःख होता हैं तब उस दुःख को वही भोक्ता हैं जिसका उसे अधिकार होता हैं और यह उसका नर्क हैं।
जब हमारे अच्छे कर्मो से लोग हमें जानते पूजते हैं तो यह हमारा पुण्य हैं और जब लोग हमारे कर्मो से हमसे दूर होते हैं और हमें किसी भी कीमत पर नहीं चाहते तो यह हमारा पाप हैं।
दोस्तों यही पाप.,पुण्य नर्क ,स्वर्ग का वास्तविक प्रमाण हैं इससे समझो और तर्क वितर्क करो आपको खुद समझ आ जायेगा की वास्तविक क्या चीज हैं और वह वास्तव में कैसा रहा होगा और वर्तमान में कैसा होना चाहिए।
अच्छे काम करो दूसरे की बुराई करने से अच्छा हैं उसके बुराई को दूर करो उसके संकोच को दूर करो। जीवन में कभी भी सुख की तलाश मत करो क्योकि हमारे जीवन का अधिकतर समाये इसी में ही निकल जाता हैं बाकि जो समय बचता हैं वह हमारे दुःख में निकल जाता हैं फिर हम यही कहते हैं की हम अपने जीवन में कुछ नहीं कर पाए। हम अपने जीवन में तभी खुश रह सकते हैं जब हम हमेशा अपने समाज के प्रति निष्ठावान हो दुसरो की बुराई करने से अच्छा अपना खुद की बुराई करे दुसरो में कमजोरी खोजने के बजाये अपने आप में कमजोरी देखे। दुसरो को सलह देने से अच्छा पहले खुद उस चीज को करो जिससे सामने वाला देख कर सीख सके। बुरे चीजों का अनुसरण ना करे। किसी दूसरे की सम्पति पर अपना अधिकार न जमाये अगर किसी चीज की नक़ल करना हैं तो कला के अलावा दूसरा चीज को ना अपनाये।
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दोस्तों आज तक हमने सुना हैं की पुरे ब्रम्हांड में दो ऐसे जगह हैं जहां लोग जाना और ना जाना पसंद करते हैं। वो जगह हैं स्वर्ग और नर्क।
और इसके बारे में कई पुराण महापुराण , कुरान ,बाईबल जैसे पुस्तक में लिखे गए हैं। वे सब स्वर्ग और नर्क के बारे में उल्लेख किये हैं लेकिन उन सब पुस्तक में दोनों में जाने का रास्ता अलग अलग बताया गया हैं। आखिर ऐसा क्यों ?
ऐसा इसलिए क्योकि ये सब पुस्तक एक दूसरे पुस्तक से जुड़े हुए हैं जिसमे विचार अलग अलग हैं। जैसे की हम जानते हैं धर्म कोई स्वर्ग या नर्क में जाने का रास्त नहीं हैं बल्कि वह मानव समाज को जीवन जीने की कला सिखाती हैं और हर समाज अपने अपने तरीके से जीने का अधिकार रखता हैं यह पूरी तरह से सत्य हैं क्योकि हम देखते हैं हर जाती में कोई भी सामाजिक काम उस जाती के अनुरूप होता हैं कोई धर्म के अनुसार नहीं यह बात हिन्दू धर्म को मानने वाले लोगो के ऊपर ज्यादा फ़ीट बैठता हैं क्योकि वो अपने धर्म को हिन्दू तो बताते हैं लेकिन वो हिन्दू धर्म के अनुसार कोई काम नहीं करते बल्कि अपने वर्षो से चले आ रहे जातीगत रीती रिवाज को अपनाते हैं।
इससे यह स्पष्ट होता हैं की जो जातीय अपने आप को हिन्दू धर्म वाले बताते हैं वो वाकई में हिन्दू नहीं हैं लेकिन वो बनने की कोशिस कर रहे हैं।
दोस्तों हमारे समाज में जो रीती रिवाज अपनाये जाते हैं वही हमारी सच्ची धर्म हैं न की हिन्दू इसलिए अपने रीती रिवाज को जिन्दा रखने के लिए हिन्दू धर्म को ना अपनाओ अपना समाज का अपने रीती रिवाज के अनुसार अलग धर्म स्थापित करो। हिन्दू धर्म मतलबी धर्म हैं जिसका सम्पूर्ण अधिकार सिर्फ ब्रम्ह्ड़ छत्रिय वैष्य के पास ही हैं बाकि सब जाती उसके गुलाम हैं।
SC , ST ,OBC के अंतर्गत जितने भी जाती आते हैं। वो सब ब्रम्ह्ड़ो के वर्ण ववस्था के अनुसार शूद्र में आते हैं और ये सभी जाती गोंडवाना लैंड का मूल निवासी हैं दोस्तों गोंडवाना लैंड का वास्तविक नाम द्रविड़ियन क्षेत्र हैं जिसका नाम ब्रिटिश के लोगो के आगमन के बाद द्रविड़ को कोंड कहा जो बाद में गोंडवाना बना. इसके अलावा हिन्दू अर्थात ब्राम्हण वादी को इंड कहा इस तरह से भारत से गोंडवाना समाप्त हो गया और पूरी तरह से बाहर से आये आर्य अर्थात ब्रम्हांड वादी पर देश का नाम पड़ गया आज भारत का नाम इंडिया, हिंदुस्तान, भारत, रखा गया हैं और गोंडवाना लैंड के मूल निवाशियो को अपना गुलाम बना गया हैं जिन्हे सिर्फ जीवित रहने के लिए भोजन का कुछ अंश ही दिया जा रहा हैं। बाकि सब अधिकार बहर से आये आर्य समाज के हाँथ में हैं।
आज ब्राम्हण सबको स्वर्ग नर्क ,पाप पुण्य के नाम पर लूट रहा हैं और लोग बड़ी आसानी से उनके बातो पर आ कर अपने धन दौलत सब कुछ दान कर देते हैं। लेकिन सोचो हम पाप करते हैं तो हमारा पाप ब्राम्हण ले लेता हैं लेकिन उसका पाप कौन लेता हैं। इस सवाल पर ब्राहण कहता हैं भगवन ने हमे इसी काम के लिए बनाया हैं।
लेकिन भगवन को किसने बनाया उस भगवन का गाथा किसने लिखा ये सब बाम्हन ने ही तो किया हैं और ये सब किसी के उद्धार के लिए नहीं बनाया हैं बल्कि अपने स्वार्थ के लिए रचा गया एक मतलबी किताब हैं। जिससे हम पढ़ कर बहुत खुस होते हैं। और स्वर्ग की तलाश करते हैं।
दोस्तों वास्तव में पूरी दुनिया में कंही भी अलग से स्वर्ग हैं और ना नर्क हैं ना पाप हैं ना पुण्य सब कुछ वास्तविक हैं और यह एक जीवन के साथ शुरू होता हैं और जीवन के अंत के साथ नष्ट हो जाता हैं मेरे कहने का मतलब हैं की जब हमारा जीवन ख़ुशी -ख़ुशी बीतता हैं तो वह हमारा स्वर्ग हैं और जब जीवन में दुःख होता हैं तब उस दुःख को वही भोक्ता हैं जिसका उसे अधिकार होता हैं और यह उसका नर्क हैं।
जब हमारे अच्छे कर्मो से लोग हमें जानते पूजते हैं तो यह हमारा पुण्य हैं और जब लोग हमारे कर्मो से हमसे दूर होते हैं और हमें किसी भी कीमत पर नहीं चाहते तो यह हमारा पाप हैं।
दोस्तों यही पाप.,पुण्य नर्क ,स्वर्ग का वास्तविक प्रमाण हैं इससे समझो और तर्क वितर्क करो आपको खुद समझ आ जायेगा की वास्तविक क्या चीज हैं और वह वास्तव में कैसा रहा होगा और वर्तमान में कैसा होना चाहिए।
अच्छे काम करो दूसरे की बुराई करने से अच्छा हैं उसके बुराई को दूर करो उसके संकोच को दूर करो। जीवन में कभी भी सुख की तलाश मत करो क्योकि हमारे जीवन का अधिकतर समाये इसी में ही निकल जाता हैं बाकि जो समय बचता हैं वह हमारे दुःख में निकल जाता हैं फिर हम यही कहते हैं की हम अपने जीवन में कुछ नहीं कर पाए। हम अपने जीवन में तभी खुश रह सकते हैं जब हम हमेशा अपने समाज के प्रति निष्ठावान हो दुसरो की बुराई करने से अच्छा अपना खुद की बुराई करे दुसरो में कमजोरी खोजने के बजाये अपने आप में कमजोरी देखे। दुसरो को सलह देने से अच्छा पहले खुद उस चीज को करो जिससे सामने वाला देख कर सीख सके। बुरे चीजों का अनुसरण ना करे। किसी दूसरे की सम्पति पर अपना अधिकार न जमाये अगर किसी चीज की नक़ल करना हैं तो कला के अलावा दूसरा चीज को ना अपनाये।
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जय सेवा जय समाज
अपना अमूल्य विचार हम तक भेजे हम आपके विचार को गोपनीय निति के तहत प्रकाशित करेंगे
जिससे समाज में अच्छे विचार और एकता की अपार धरा बह सके जय सेवा
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साइट के निर्माता और प्रकाशक
बी.एस. टेकाम
समाज को आगे बढ़ाने के लिए :- समाज के लोगो का समर्थन करे चाहे जिस रूप में भी हो
जैसे की मैंने एक affiliate बिज़नेस शुरू किया हूँ और मैं चाहता हूँ की हमारे समाज के लोग मेरे वेबसाइट से अपना प्रोडक्ट खरीदे जिससे मुझे कुछ अधिक कामिसन मिल सके और अपनी कुल आय में से कुछ हिस्सा अपने समाज के कमजोर लोगो में दे सकू . जिससे समाज का कल्याण हो सके .
अतः मेरे वेबसाइट पर जाये प्रोडक्ट खरीदे और अधिक से अधिक लोगो तक शेयर करे साथ ही बताये आपको किस तरह का प्रोडक्ट चाहिए जय जोहर

